वीडियो जानकारी:<br /><br />०४ जून, २०१९<br />अद्वैत बोधस्थल,<br />ग्रेटर नॉएडा<br /><br />प्रसंग:<br />की बेदरदां संग यारी,<br />रोवन अक्खियां ज़ारो ज़ारी ।<br />सानूं गए बेदरदी चड्ड के, हिजरे सांग सीने विच गड्ड के,<br />जिसमों जिन्द नूं लै गए कढ्ढ के, इह गल्ल कर गए हैंस्यारी ।<br />की बेदरदां संग यारी,<br />बेदरदां दा की भरवासा, खौफ़ नहीं दिल अन्दर मासा,<br />चिड़ियां मौत गवारां हासा, मगरों हस्स हस्स ताड़ी मारी ।<br />की बेदरदां संग यारी,<br />आवन कह गए फेर ना आए, आवन दे सभ कौल भुलाए,<br />मैं भुल्ली भुल्ल नैन लगाए, केहे मिले सानूं ठग्ग बपारी ।<br />की बेदरदां संग यारी,<br />रोवन अक्खियां ज़ारो ज़ारी ।<br /><br />~ संत बुल्लेशाह जी<br /><br />बुल्लेशाह जी प्यास और प्रियतम से किसे संबोधित कर रहे हैं?<br />क्या साधना में साधक की प्यास पर ही सब कुछ निर्भर करता है?<br />सत्य के लिए प्यास को कैसे पहचानें?<br />गुरु साधक की प्यास बुझाने के लिए क्या करते हैं?<br />बाबा बुल्लेशाह को कैसे समझें?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते